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गिलोय के फायदे, नुकसान व औषधीय गुण Benefits of Giloy & its Medicinal By वनिता कासनियां पंजाब गिलोय का परिचय (Introduction of Giloy)आपने गिलोय के बारे में अनेक बातें सुनी होंगी और शायद गिलोय के कुछ फायदों के बारे में भी जानते होंगे, लेकिन यह पक्का है कि आपको गिलोय के बारे में इतनी जानकारी नहीं होगी, जितनी हम आपको बताने जा रहे हैं। गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में बहुत सारी फायदेमंद बातें बताई गई हैं। आयुर्वेद में इसे रसायन माना गया है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।Type HereSearchAlगिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं। गिलोय का उपयोग कर वात-पित्त और कफ को ठीक किया जा सकता है। यह पचने में आसान होती है, भूख बढ़ाती है, साथ ही आंखों के लिए भी लाभकारी होती है। आप गिलोय के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ ले सकते हैं। इसके साथ ही यह वीर्य और बुद्धि बढ़ाती है और बुखार, उलटी, सूखी खाँसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी प्रयोग की जाती है। महिलाओं की शारीरिक कमजोरी की स्थिति में यह बहुत अधिक लाभ पहुंचाती है।गिलोय क्या है (What is Giloy?)गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है। आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों (चिकित्साशात्रियों) के अनुसार गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। टीबी रोग का कारण बनने वाले वाले जीवाणु की वृद्धि को रोकती है। आंत और यूरीन सिस्टम के साथ-साथ पूरे शरीर को प्रभावित करने वाले रोगाणुओं को भी यह खत्म करती है।गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें मुख्यतया निम्न प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।गिलोय (Tinosporacordifolia (Willd.) Miers)Tinosporacrispa (L.) Hook. f. & Thomson 3. Tinospora sinensis (Lour.) Merr. (Syn- Tinospora malabarica (Lam.) Hook. f. & Thomson)अनेक भाषाओं में गिलोय के नाम (Giloy Called in Different Languages)गिलोय का लैटिन नाम टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया ( Tinospora cordifolia (Willd.) Miers, Syn-Menispermum cordifolium Willd.) है और यह मैनिस्पर्मेसी (Menispermaceae) कुल है। इसे इन नामों से भी जानी जाती हैः-Giloy in –Hindi (Giloy in Hindi) – गडुची, गिलोय, अमृताEnglish – इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora); टिनोस्पोरा (Tinospora)Bengali (Giloy in Bengali) – गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), गिलोय (Giloe)Sanskrit – वत्सादनी, छिन्नरुहा, गुडूची, तत्रिका, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रियाOriya – गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi)Kannada – अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni)Gujarati – गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo)Goa – अमृतबेल (Amrytbel)Tamil – अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi)Telugu – तिप्पतीगे (Tippatige), अमृता (Amrita), गुडूची (Guduchi)Nepali – गुर्जो (Gurjo)Punjabi – गिलोगुलरिच (Gilogularich), गरहम (Garham), पालो (Palo)Marathi – गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल(Ambarvel)Malayalam – अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu)Arabic – गिलो (Gilo)Persian – गुलबेल (Gulbel), गिलोय (Giloe)गिलोय के फायदे (Giloy Benefits and Uses)गिलोय का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और तरीका ये हैः-आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy to Cure Eye Disease in Hindi)10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं।गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है।और पढ़ें: आंखों की ज्‍योति बढ़ाए अश्‍वगंधाकान की बीमारी में फायदेमंद गिलोय का प्रयोग (Uses of Giloy in Eye Disorder in Hindi)गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल (कान की गंदगी) निकल जाता है।हिचकी को रोकने के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल (Giloy Benefits to stop Hiccup in Hindi)गिलोय तथा सोंठ के चूर्ण को नसवार की तरह सूँघने से हिचकी बन्द होती है। गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण की चटनी बना लें। इसमें दूध मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाती है।और पढ़े: हिचकी में चना के फायदेटीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन (Giloy Uses in T.B. Disease Treatment in Hindi)अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा मतलब टीबी की बीमारी ठीक होती है। इस दौरान दूध का सेवन करना चाहिए।और पढ़ें: टीबी रोग में करें अश्वगंधा का उपयोगगिलोय के सेवन से उलटी रुकती है (Benefits of Giloy to Stop Vomiting in Hindi)एसिडिटी के कारण उलटी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उलटी बंद हो जाती है। गिलोय के 125-250 मिली चटनी में 15 से 30 ग्राम शहद मिला लें।इसे दिन में तीन बार सेवन करने से उलटी की परेशानी ठीक हो जाती है। 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है।गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज (Giloy is Beneficial in Fighting with Constipation in Hindi)गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है।सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय को बराबर भाग में कर जल में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।और पढ़ें: पेट की बीमारी में करें एलोवेरा का इस्‍तेमालगिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार (Giloy Uses in Piles Treatment in Hindi)हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक चौथाई रह जाय तो खौलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी ठीक होती है।और पढ़ें: बवासीर में शतावरी से फायदापीलिया रोग में गिलोय से फायदा (Giloy Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया ठीक होता है।गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।पुनर्नवा, नीम की छाल, पटोल के पत्ते, सोंठ, कटुकी, गिलोय, दारुहल्दी, हरड़ को 20 ग्राम लेकर 320 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 मिली सुबह और शाम पीने से पीलिया, हर प्रकार की सूजन, पेट के रोग, बगल में दर्द, सांस उखड़ना तथा खून की कमी में लाभ होता है।गिलोय रस एक लीटर, गिलोय का पेस्ट 250 ग्राम, दूध चार लीटर और घी एक किलो लेकर धीमी आँच पर पका लें। जब घी केवल रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस घी की 10 ग्राम मात्रा को चौगुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह और शाम पीने से खून की कमी, पीलिया एवं हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।और पढ़ें: पीलिया में फायदेमंद भुई-आंवला का प्रयोगलीवर विकार को ठीक करता है गिलोय (Giloy Helps in Liver Disorder in Hindi)18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग नीम को लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीस, छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है।डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग (Uses of Giloy in Control Diabetes in Hindi)गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवँला, हरड़ लें। इसके साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर रख लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।एक ग्राम गिलोय सत् में 3 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ मिलता है।10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ (Giloy Cures Urinary Problems in Hindi)गुडूची के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की बीमारी में लाभ होता है।गठिया में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy in Arthritis Treatment in Hindi)गिलोय के 5-10 मिली रस अथवा 3-6 ग्राम चूर्ण या 10-20 ग्राम पेस्ट या फिर 20-30 मिली काढ़ा को रोज कुछ समय तक सेवन करने से गठिया में अत्यन्त लाभ होता है।सोंठ के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द मिटता है।फाइलेरिया (हाथीपाँव) में फायदा लेने के लिए करें गिलोय का प्रयोग (Giloy Uses in Cure Filaria in Hindi)10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।गिलोय से कुष्ठ (कोढ़ की बीमारी) रोग का इलाज (Giloy Benefits in Leprosy Treatment in Hindi)10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।बुखार उतारने के लिए गिलोय से लाभ (Giloy is Beneficial in Fighting with Fever in Hindi)40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह मसलकर, मिट्टी के बरतन में रख लें। इसे 250 मिली पानी मिलाकर रात भर ढककर रख लें। इसे सुबह मसल-छानकर प्रयोग करें। इसे 20 मिली की मात्रा दिन में तीन बार पीने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।20 मिली गिलोय के रस में एक ग्राम पिप्पली तथा एक चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पुराना बुखार, कफ, तिल्ली बढ़ना, खांसी, अरुचि आदि रोग ठीक होते हैं।बेल, अरणी, गम्भारी, श्योनाक (सोनापाठा) तथा पाढ़ल की जड़ की छाल लें। इसके साथ ही गिलोय, आँवला, धनिया लें। इन सभी की बराबर-बराबर लेकर इनका काढ़ा बना लें। 20-30 मिली काढ़ा को दिन में दो बार सेवन करने से वातज विकार के कारण होने वाला बुखार ठीक होता है।मुनक्का, गिलोय, गम्भारी, त्रायमाण तथा सारिवा से बने काढ़ा (20-30 मिली) में गुड़ मिला ले। इसे पीने अथवा बराबर-बराबर भाग में गुडूची तथा शतावरी के रस (10-20 मिली) में गुड़ मिलाकर पीने से वात विकार के कारण होने वाला बुखार उतर जाता है।20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिला ले। इसके अलावा छोटी कटेरी, सोंठ तथा गुडूची के काढ़ा (20-30 मिली) में पिप्पली चूर्ण मिलाकर पीने से वात और कफज विकार के कारण होने वाला बुखार, सांस के उखड़ने की परेशानी, सूखी खांसी तथा दर्द की परेशानी ठीक होती है।सुबह के समय 20-40 मिली गुडूची के चटनी में मिश्री मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।गुडूची, सारिवा, लोध्र, कमल तथा नीलकमल अथवा गुडूची, आँवला तथा पर्पट को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा में चीनी मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।बराबर मात्रा में गुडूची, नीम तथा आँवला से बने 25-50 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार की गभीर स्थिति में लाभ होता है।100 ग्राम गुडूची के चूर्ण को कपड़े से छान लें। इसमें 16-16 ग्राम गुड़, मधु तथा गाय का घी मिला लें। इसका लड्डू बनाकर पाचन क्षमता के अनुसार रोज खाएं। इससे पुराना बुखार, गठिया, आंखों की बीमारी आदि रोगों में फायदा होता है। इससे यादाश्त भी बढ़ती है।गिलोय के रस तथा पेस्ट से घी को पकाएं। इसका सेवन करने से पुराना बुखार ठीक होता है।बराबर मात्रा में गिलोय तथा बृहत् पञ्चमूल के 50 मिली काढ़ा में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण तथा 5-10 ग्राम मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा गुडूची काढ़ा को ठंडा करके इसमें एक चौथाई मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा आप 25 मिली गुडूची रस में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण तथा 5-6 ग्राम मधु मिला भी पी सकते हैं। इससे पुराना बुखार, सूखी खाँसी की परेशानी ठीक होती है और भूख बढ़ती है।गुडूची काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बुखार की गंभीर स्थिति में लाभ होता है। बुखार के रोगी को आहार के रूप में गुडूची के पत्तों की सब्जी शाक बनाकर खानी चाहिए।पतंजलि की गिलोय घनवटी का सेवन करने से भी लाभ होता है।एसिडिटी की परेशानी ठीक करता है गिलोय (Giloy Cure Acidity in Hindi)गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ और मिश्री के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा अथवा चटनी में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या ठीक होती हैइसके अलावा 10-30 मिली काढ़ा में अडूसा छाल, गिलोय तथा छोटी कटोरी को बराबर भाग में लेकर आधा लीटर पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। ठंडा होने पर 10-30 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से सूजन, सूखी खांसी, श्वास तेज चलना, बुखार तथा एसीडिटी की समस्या ठीक होती है।कफ की बीमारी में करें गिलोय का इस्तेमाल(Giloy is Beneficial in Cure Cough in Hindi)गिलोय को मधु के साथ सेवन करने से कफ की परेशानी से आराम मिलता है।स्वस्थ ह्रदय के लिए गिलोय का सेवन फायदेमंद (Giloy is Beneficial for Healthy Heart)काली मिर्च को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से सीने का दर्द ठीक होता है। ये प्रयोग कम से कम सात दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।और पढ़े: सीने में दर्द के घरेलू उपचारकैंसर में फायदेमंद गिलोय का उपयोग (Giloy is Beneficial in Cancer in Hindi)स्वामी रामदेव के पतंजलि आश्रम में अनेक ब्लड कैंसर के रोगियों पर गेहूँ के ज्वारे के साथ गिलोय का रस मिलाकर सेवन कराया गया। इससे बहुत लाभ हुआ। आज भी इसका प्रयोग किया जा रहा है और इससे रोगियों को अत्यन्त लाभ होता है।लगभग 2 फुट लम्बी तथा एक अगुंली जितनी मोटी गिलोय, 10 ग्राम गेहूँ की हरी पत्तियां लें। इसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीस लें। इसे कपड़े से निचोड़ कर 1 कप की मात्रा में खाली पेट प्रयोग करें। पतंजलि आश्रम के औषधि के साथ इस रस का सेवन करने से कैंसर जैसे भयानक रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है।और पढ़े: चिकनगुनिया में गिलोय के फायदेगिलोय के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Giloy?)काढ़ा – 20-30 मिलीरस – 20 मिलीअधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार इस्तेमाल करें।गिलोय के सेवन का तरीका (How to Use Giloy?)काढ़ारसगिलोय से नुकसान (Side Effects of Giloy)गिलोय से ये नुकसान हो सकते हैंः-गिलोय डायबिटीज (मधुमेह) कम करता है। इसलिए जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, वे गिलोय का सेवन न करें।इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।गिलोय कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Giloy Found or Grown?)यह भारत में सभी स्थानों पर पायी जाती है। कुमाऊँ से आसाम तक, बिहार तथा कोंकण से कर्नाटक तक गिलोय मिलती है। यह समुद्र तल से लगभग 1,000 मीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है।

गिलोय के फायदे, नुकसान व औषधीय गुण Benefits of Giloy & its Medicinal  By वनिता कासनियां पंजाब  गिलोय का परिचय (Introduction of Giloy) आपने गिलोय के बारे में अनेक बातें सुनी होंगी और शायद गिलोय के कुछ फायदों के बारे में भी जानते होंगे, लेकिन यह पक्का है कि आपको गिलोय के बारे में इतनी जानकारी नहीं होगी, जितनी हम आपको बताने जा रहे हैं। गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में बहुत सारी फायदेमंद बातें बताई गई हैं। आयुर्वेद में इसे रसायन माना गया है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। Al गिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं। गिलोय का उपयोग कर वात-पित्त और कफ को ठीक किया जा सकता है। यह पचने में आसान होती है, भूख बढ़ाती है, साथ ही आंखों के लिए भी लाभकारी होती है। आप गिलोय के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ ले सकते हैं।   इसके साथ ही यह वीर्य और बुद्धि बढ़ाती है और बुखार, उलटी, सूखी खाँसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी प्रयोग की जाती है। महिलाओं की शारीरिक कमजोरी की स्थिति में यह बहुत अधिक लाभ पहुंचाती है। गिलोय क्या है (...

मखाना खाना और उसका प्रयोग करना सभी लोगो को पसंद है ये काफी टेस्टी होते है लेकिन इससे आप कई तरह की डिशेज बना सकती है .ज्यादातर लोग इसे रोस्ट करके सेवन करते है। रोस्टेड मखाना खाना अच्छा लगता है लेकिन इसके साथ ही इसे लेकर आप कई तरह की चीजे बना सकते है। By वनिता कासनियां पंजाब, तो चलिए जानते है मखाने से जुडी वेजिटेबल चाट की सरल रेसिपी के बारे में जो काफी सरल है झटपट बनकर तैयार हो जाती है सामग्री1 कप मखाने ,1/2 कप दही ,1 कटा हुए टमाटर ,1 कटा हुआ खीरा ,1 उबला हुआ आलू ,कटी हुई गाजर ,2 चम्मच फलहारी इमली की चटनी ,2 चम्मच हरी चटनी ,1 चम्मच कटा हरा धनिया,नमक स्वादानुसार ,1/2 चम्मच घीविधिमखाने की चाट बनाने के लिए आपको सबसे पहले मखानो को सेंधा नमक और घी के साथ रोस्ट कर ले। कच्चे मखानो कीजगह रोस्टेड मखाने के इससे स्वाद अच्छा आता है। अब एक बर्तन में दही लेकर उसे अच्छे से फेट ले और उसके बाद इसमें आप सभी सूखे मसाले मिलाकरअच्छे से मिला ले।अब आपको इसमें सभी सब्जिया डालनी है। इसमें आप सब्जी के साथ फल भी डाल सकते है। अब इसमें उबला हुआ आलू मिला दे। फलहारी चटनी और नमक भी डाल दे। ध्यान रहे की हम पहले ही मखानो में नमक मिला चुके है इसलिए ज्यादा नहीं मिलाये अब मखानो को काटकर या ऐसे ही डाल दे इन्हे सबसे लास्ट में डाले और जल्दी से सर्व करे ये सिले हो सकते है।

मखाना खाना और उसका प्रयोग करना सभी लोगो को पसंद है ये काफी टेस्टी होते है लेकिन इससे आप कई तरह की डिशेज बना सकती है .ज्यादातर लोग इसे रोस्ट करके सेवन करते है। रोस्टेड मखाना खाना अच्छा लगता है लेकिन इसके साथ ही इसे लेकर आप कई तरह की चीजे बना सकते है। By वनिता कासनियां पंजाब , तो चलिए जानते है मखाने से जुडी वेजिटेबल चाट की सरल रेसिपी के बारे में जो काफी सरल है झटपट बनकर तैयार हो जाती है सामग्री 1 कप मखाने ,1/2 कप दही ,1 कटा हुए टमाटर ,1 कटा हुआ खीरा ,1 उबला हुआ आलू ,कटी हुई गाजर ,2 चम्मच फलहारी इमली की चटनी ,2 चम्मच हरी चटनी ,1 चम्मच कटा हरा धनिया,नमक स्वादानुसार ,1/2 चम्मच घी विधि मखाने की चाट बनाने के लिए आपको सबसे पहले मखानो को सेंधा नमक और घी के साथ रोस्ट कर ले। कच्चे मखानो कीजगह रोस्टेड मखाने के इससे स्वाद अच्छा आता है। अब एक बर्तन में दही लेकर उसे अच्छे से फेट ले और उसके बाद इसमें आप सभी सूखे मसाले मिलाकरअच्छे से मिला ले।अब आपको इसमें सभी सब्जिया डालनी है। इसमें आप सब्जी के साथ फल भी डाल सकते है। अब इसमें उबला हुआ आलू मिला दे। फलहारी चटनी और नमक भी डाल दे। ध्यान रहे की ...

उड़द दाल: स्वाद और सेहत का खजाना By वनिता कासनियां पंजाब आयुर्वेद में उड़द को धान्यवीर, बीजरत्न, वृषांकुर, बलाढ्य, मासल आदि नामों से जाना जाता है, वहीं अरबी व फ़ारसी में इसे माषा/माष कहा जाता है। अब नामों में ही उड़द की महिमा छिपी है अर्थात आयुर्वेद में इसे मासवर्धक, बलवर्धक, वीर्यवर्धक, दुग्धवर्धक, वाजीकारक, तृप्तिजनक, पौष्टिक, स्वादिष्ट व स्निग्ध तथा परिणाम शूल, अर्दित और बवासीर में लाभकारी कहा गया है। हृदय के लिए उत्तम और थकान को दूर करने वाली है।लेकिन फिर उड़द का उपभोग दालों में अरहर/तूर, चना, मसूर और मूंग के बाद पांचवें नम्बर पर क्यों है? असल में उड़द वात, मेद (वसा), कफ को बढ़ाने वाली, रक्तरोग कारक और पचने में भारी होती है। भावप्रकाश संहिता के अनुसार उड़द, दही, मछली और बैंगन, ये चारों कफ और पित्त को बढ़ाने वाले हैं।शास्त्रों में उड़द को सभी दालों में निकृष्ट कहा गया है लेकिन उन्हीं शास्त्रों में जई (ओट/Oats) को भी अधम कहा गया है जिसके (जई/Oat) तो इस समय बड़े गुणगान हो रहे हैं।असल में आधा अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है। लोग आधे ज्ञान के आधार पर निष्कर्ष निकालने लगते हैं जो कभी सही नहीं हो सकता। आष्टाङ्गहृदय के अनुसार एक साल पुराने अन्न अपनी गुरुता त्याग देते हैं और मृदु/हल्के हो जाते हैं।साधारण नियम है कि जो खाद्यान्न पकने में देर लगाते हैं, वे पचने में देर लगाते हैं अर्थात भारी/गुरु होते हैं।ऐसे में घी अथवा तेल में भून लेने से वे अपनी गुरूता को त्याग कर जल्दी पक जाते हैं। छिलका उतार देने से भी गुरूता कम हो जाती है। बिना घी-तेल के भुने (रोस्टेड) हुए अन्न लघु हो जाते हैं।भावप्रकाश पूर्वखण्ड में लिखा है कि उड़द की दाल को हींग के साथ पकाने से उसमे स्वाद बढ़ जाता है और वह लघु भी हो जाती है। भारतीय द्रव्यगुण विज्ञान के अनुसार उड़द के दोषों को नष्ट करने के लिए इसमें हींग मिलाना आवश्यक है। यूनानी चिकित्सा के मतानुसार माष/उड़द के दर्प का नाश करने के लिए कालीमिर्च, अदरक और हींग का उपयोग करना चाहिए।आखिर में इतना कि उड़द की दाल का आनन्द लेने के लिए आपका पाचन दुरुस्त होना चाहिए।यह मेरी पसंदीदा रेसिपी है। हालांकि मैं छिलका वाली उड़द कम पसंद करता हूं लेकिन मैंने इसमें आधी छिलका सहित और आधी बिना छिलका डाल का प्रयोग किया है। कहने की जरूरत नहीं कि यह पहले घी में भुनी हुई है और पर्याप्त मात्रा में हींग, अदरक और कालीमिर्च के साथ लहसुन व पंचफोड़न (जीरा, मेथी, अजवाइन, कलौंजी/मंगरैल और सौंफ) का भी प्रयोग किया है। मगर हल्दी का उपयोग दाल के बजाए चावलों में किया है जिसके साथ चावलों में कुछ भीगने के बाद उबाले और फिर हल्का तले हुए चने भी डाले हैं जिससे कारण चावलों में भी हींग और जीरा का प्रयोग किया है। चावलों में आधी मात्रा सामान्य बासमती और आधी मात्रा पुराने शालिचावल का प्रयोग किया है।इति,बेहतर जीवन और उत्तम स्वास्थ्य की अशेष शुभकामनाओं के साथ, सवाल पूछने के लिए बहुत बहुत आभार और उत्तर को पूरा पढ़ने के लिए कोटिशः धन्यवाद! 🙏💐मैं आयुर्वेद की खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस लाने के अपने अभियान में यहां पर उपस्थित हूं। आप भी मेरे साथ इस मुहिम में, अभियान में, खोज में, शामिल हो सकते हैं बस थोड़ी से जतन से - पोस्ट को अपवोट और शेयर करके और साथ ही एक कॉमेंट करके। इससे यह ज्ञान ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सकेगा और लोगों की मदद हो सकेगी। आप चाहें तो अपनी अलग कोई इस तरह की पहल कर सकते हैं। लेकिन कुछ तो करिए! 🙏💐स्वास्थ्य घरेलू नुस्खेजाने से पहले मैं इस लेख को अंत तक पढ़ने के लिए स्वस्थ और निरोगी जीवन की शुभकामनाओं के साथ, बहुत-बहुत धन्यवाद कहती हु ! 🙏मैं एक छोटा सा फेवर माँगना चाहती हूँ कि आपको मेरा लेख पसंद आया है तो इसे अपने दोस्तों के साथ और संबंधित मंचों पर साझा करें ताकि औरों को भी लाभ हो सके; दूसरों की मदद करें! हमारी साझी विरासत आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के सहभागी बनें।पाक विधिआपकी हर प्रतिक्रिया मुझे उस तरह के लेख लिखने के लिए प्रोत्साहित करेगी जो आपको अच्छे तर्कों के साथ यथेष्ठ जानकारी वाले बेहतर परिणाम प्राप्त करने में मदद करते हैं।अगर आपने इस लेख को पसंद किया है, तो कृपया मुझे कॉमेंट में बताएं...अगर नहीं भी पसंद किया है तो भी कॉमेंट में बताएं। अगर आपके पास कोई प्रश्न है? मुझे अपने विचार नीचे टिप्पणियों में सुनने दें! यकीन मानिए कॉमेंट करने से बहुत फर्क पड़ता है।शुभकामनाएं। 🙏💐

उड़द दाल: स्वाद और सेहत का खजाना By वनिता कासनियां पंजाब आयुर्वेद में  उड़द को  धान्यवीर, बीजरत्न, वृषांकुर, बलाढ्य, मासल  आदि नामों से जाना जाता है, वहीं  अरबी व फ़ारसी में  इसे  माषा/माष  कहा जाता है। अब  नामों में ही उड़द की महिमा छिपी है  अर्थात आयुर्वेद में इसे  मासवर्धक, बलवर्धक, वीर्यवर्धक, दुग्धवर्धक, वाजीकारक, तृप्तिजनक, पौष्टिक, स्वादिष्ट व स्निग्ध  तथा  परिणाम शूल, अर्दित  और  बवासीर  में लाभकारी कहा गया है।  हृदय के लिए उत्तम  और  थकान को दूर  करने वाली है। लेकिन फिर उड़द का उपभोग दालों में अरहर/तूर, चना, मसूर और मूंग के बाद पांचवें नम्बर पर क्यों है?  असल में उड़द  वात, मेद (वसा), कफ को बढ़ाने वाली, रक्तरोग कारक  और  पचने में भारी  होती है।  भावप्रकाश संहिता  के अनुसार  उड़द, दही, मछली और बैंगन, ये चारों कफ और पित्त को बढ़ाने वाले  हैं। शास्त्रों में उड़द को सभी दालों में निकृष्ट कहा गया है लेकिन उन्हीं शास्त्रों में जई (ओट/Oats) को भी ...