सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

गिलोय के फायदे, नुकसान व औषधीय गुण Benefits of Giloy & its Medicinal By वनिता कासनियां पंजाब गिलोय का परिचय (Introduction of Giloy)आपने गिलोय के बारे में अनेक बातें सुनी होंगी और शायद गिलोय के कुछ फायदों के बारे में भी जानते होंगे, लेकिन यह पक्का है कि आपको गिलोय के बारे में इतनी जानकारी नहीं होगी, जितनी हम आपको बताने जा रहे हैं। गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में बहुत सारी फायदेमंद बातें बताई गई हैं। आयुर्वेद में इसे रसायन माना गया है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।Type HereSearchAlगिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं। गिलोय का उपयोग कर वात-पित्त और कफ को ठीक किया जा सकता है। यह पचने में आसान होती है, भूख बढ़ाती है, साथ ही आंखों के लिए भी लाभकारी होती है। आप गिलोय के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ ले सकते हैं। इसके साथ ही यह वीर्य और बुद्धि बढ़ाती है और बुखार, उलटी, सूखी खाँसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी प्रयोग की जाती है। महिलाओं की शारीरिक कमजोरी की स्थिति में यह बहुत अधिक लाभ पहुंचाती है।गिलोय क्या है (What is Giloy?)गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है। आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों (चिकित्साशात्रियों) के अनुसार गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। टीबी रोग का कारण बनने वाले वाले जीवाणु की वृद्धि को रोकती है। आंत और यूरीन सिस्टम के साथ-साथ पूरे शरीर को प्रभावित करने वाले रोगाणुओं को भी यह खत्म करती है।गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें मुख्यतया निम्न प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।गिलोय (Tinosporacordifolia (Willd.) Miers)Tinosporacrispa (L.) Hook. f. & Thomson 3. Tinospora sinensis (Lour.) Merr. (Syn- Tinospora malabarica (Lam.) Hook. f. & Thomson)अनेक भाषाओं में गिलोय के नाम (Giloy Called in Different Languages)गिलोय का लैटिन नाम टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया ( Tinospora cordifolia (Willd.) Miers, Syn-Menispermum cordifolium Willd.) है और यह मैनिस्पर्मेसी (Menispermaceae) कुल है। इसे इन नामों से भी जानी जाती हैः-Giloy in –Hindi (Giloy in Hindi) – गडुची, गिलोय, अमृताEnglish – इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora); टिनोस्पोरा (Tinospora)Bengali (Giloy in Bengali) – गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), गिलोय (Giloe)Sanskrit – वत्सादनी, छिन्नरुहा, गुडूची, तत्रिका, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रियाOriya – गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi)Kannada – अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni)Gujarati – गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo)Goa – अमृतबेल (Amrytbel)Tamil – अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi)Telugu – तिप्पतीगे (Tippatige), अमृता (Amrita), गुडूची (Guduchi)Nepali – गुर्जो (Gurjo)Punjabi – गिलोगुलरिच (Gilogularich), गरहम (Garham), पालो (Palo)Marathi – गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल(Ambarvel)Malayalam – अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu)Arabic – गिलो (Gilo)Persian – गुलबेल (Gulbel), गिलोय (Giloe)गिलोय के फायदे (Giloy Benefits and Uses)गिलोय का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और तरीका ये हैः-आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy to Cure Eye Disease in Hindi)10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं।गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है।और पढ़ें: आंखों की ज्‍योति बढ़ाए अश्‍वगंधाकान की बीमारी में फायदेमंद गिलोय का प्रयोग (Uses of Giloy in Eye Disorder in Hindi)गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल (कान की गंदगी) निकल जाता है।हिचकी को रोकने के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल (Giloy Benefits to stop Hiccup in Hindi)गिलोय तथा सोंठ के चूर्ण को नसवार की तरह सूँघने से हिचकी बन्द होती है। गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण की चटनी बना लें। इसमें दूध मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाती है।और पढ़े: हिचकी में चना के फायदेटीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन (Giloy Uses in T.B. Disease Treatment in Hindi)अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा मतलब टीबी की बीमारी ठीक होती है। इस दौरान दूध का सेवन करना चाहिए।और पढ़ें: टीबी रोग में करें अश्वगंधा का उपयोगगिलोय के सेवन से उलटी रुकती है (Benefits of Giloy to Stop Vomiting in Hindi)एसिडिटी के कारण उलटी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उलटी बंद हो जाती है। गिलोय के 125-250 मिली चटनी में 15 से 30 ग्राम शहद मिला लें।इसे दिन में तीन बार सेवन करने से उलटी की परेशानी ठीक हो जाती है। 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है।गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज (Giloy is Beneficial in Fighting with Constipation in Hindi)गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है।सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय को बराबर भाग में कर जल में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।और पढ़ें: पेट की बीमारी में करें एलोवेरा का इस्‍तेमालगिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार (Giloy Uses in Piles Treatment in Hindi)हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक चौथाई रह जाय तो खौलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी ठीक होती है।और पढ़ें: बवासीर में शतावरी से फायदापीलिया रोग में गिलोय से फायदा (Giloy Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया ठीक होता है।गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।पुनर्नवा, नीम की छाल, पटोल के पत्ते, सोंठ, कटुकी, गिलोय, दारुहल्दी, हरड़ को 20 ग्राम लेकर 320 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 मिली सुबह और शाम पीने से पीलिया, हर प्रकार की सूजन, पेट के रोग, बगल में दर्द, सांस उखड़ना तथा खून की कमी में लाभ होता है।गिलोय रस एक लीटर, गिलोय का पेस्ट 250 ग्राम, दूध चार लीटर और घी एक किलो लेकर धीमी आँच पर पका लें। जब घी केवल रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस घी की 10 ग्राम मात्रा को चौगुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह और शाम पीने से खून की कमी, पीलिया एवं हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।और पढ़ें: पीलिया में फायदेमंद भुई-आंवला का प्रयोगलीवर विकार को ठीक करता है गिलोय (Giloy Helps in Liver Disorder in Hindi)18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग नीम को लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीस, छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है।डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग (Uses of Giloy in Control Diabetes in Hindi)गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवँला, हरड़ लें। इसके साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर रख लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।एक ग्राम गिलोय सत् में 3 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ मिलता है।10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ (Giloy Cures Urinary Problems in Hindi)गुडूची के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की बीमारी में लाभ होता है।गठिया में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy in Arthritis Treatment in Hindi)गिलोय के 5-10 मिली रस अथवा 3-6 ग्राम चूर्ण या 10-20 ग्राम पेस्ट या फिर 20-30 मिली काढ़ा को रोज कुछ समय तक सेवन करने से गठिया में अत्यन्त लाभ होता है।सोंठ के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द मिटता है।फाइलेरिया (हाथीपाँव) में फायदा लेने के लिए करें गिलोय का प्रयोग (Giloy Uses in Cure Filaria in Hindi)10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।गिलोय से कुष्ठ (कोढ़ की बीमारी) रोग का इलाज (Giloy Benefits in Leprosy Treatment in Hindi)10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।बुखार उतारने के लिए गिलोय से लाभ (Giloy is Beneficial in Fighting with Fever in Hindi)40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह मसलकर, मिट्टी के बरतन में रख लें। इसे 250 मिली पानी मिलाकर रात भर ढककर रख लें। इसे सुबह मसल-छानकर प्रयोग करें। इसे 20 मिली की मात्रा दिन में तीन बार पीने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।20 मिली गिलोय के रस में एक ग्राम पिप्पली तथा एक चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पुराना बुखार, कफ, तिल्ली बढ़ना, खांसी, अरुचि आदि रोग ठीक होते हैं।बेल, अरणी, गम्भारी, श्योनाक (सोनापाठा) तथा पाढ़ल की जड़ की छाल लें। इसके साथ ही गिलोय, आँवला, धनिया लें। इन सभी की बराबर-बराबर लेकर इनका काढ़ा बना लें। 20-30 मिली काढ़ा को दिन में दो बार सेवन करने से वातज विकार के कारण होने वाला बुखार ठीक होता है।मुनक्का, गिलोय, गम्भारी, त्रायमाण तथा सारिवा से बने काढ़ा (20-30 मिली) में गुड़ मिला ले। इसे पीने अथवा बराबर-बराबर भाग में गुडूची तथा शतावरी के रस (10-20 मिली) में गुड़ मिलाकर पीने से वात विकार के कारण होने वाला बुखार उतर जाता है।20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिला ले। इसके अलावा छोटी कटेरी, सोंठ तथा गुडूची के काढ़ा (20-30 मिली) में पिप्पली चूर्ण मिलाकर पीने से वात और कफज विकार के कारण होने वाला बुखार, सांस के उखड़ने की परेशानी, सूखी खांसी तथा दर्द की परेशानी ठीक होती है।सुबह के समय 20-40 मिली गुडूची के चटनी में मिश्री मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।गुडूची, सारिवा, लोध्र, कमल तथा नीलकमल अथवा गुडूची, आँवला तथा पर्पट को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा में चीनी मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।बराबर मात्रा में गुडूची, नीम तथा आँवला से बने 25-50 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार की गभीर स्थिति में लाभ होता है।100 ग्राम गुडूची के चूर्ण को कपड़े से छान लें। इसमें 16-16 ग्राम गुड़, मधु तथा गाय का घी मिला लें। इसका लड्डू बनाकर पाचन क्षमता के अनुसार रोज खाएं। इससे पुराना बुखार, गठिया, आंखों की बीमारी आदि रोगों में फायदा होता है। इससे यादाश्त भी बढ़ती है।गिलोय के रस तथा पेस्ट से घी को पकाएं। इसका सेवन करने से पुराना बुखार ठीक होता है।बराबर मात्रा में गिलोय तथा बृहत् पञ्चमूल के 50 मिली काढ़ा में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण तथा 5-10 ग्राम मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा गुडूची काढ़ा को ठंडा करके इसमें एक चौथाई मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा आप 25 मिली गुडूची रस में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण तथा 5-6 ग्राम मधु मिला भी पी सकते हैं। इससे पुराना बुखार, सूखी खाँसी की परेशानी ठीक होती है और भूख बढ़ती है।गुडूची काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बुखार की गंभीर स्थिति में लाभ होता है। बुखार के रोगी को आहार के रूप में गुडूची के पत्तों की सब्जी शाक बनाकर खानी चाहिए।पतंजलि की गिलोय घनवटी का सेवन करने से भी लाभ होता है।एसिडिटी की परेशानी ठीक करता है गिलोय (Giloy Cure Acidity in Hindi)गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ और मिश्री के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा अथवा चटनी में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या ठीक होती हैइसके अलावा 10-30 मिली काढ़ा में अडूसा छाल, गिलोय तथा छोटी कटोरी को बराबर भाग में लेकर आधा लीटर पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। ठंडा होने पर 10-30 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से सूजन, सूखी खांसी, श्वास तेज चलना, बुखार तथा एसीडिटी की समस्या ठीक होती है।कफ की बीमारी में करें गिलोय का इस्तेमाल(Giloy is Beneficial in Cure Cough in Hindi)गिलोय को मधु के साथ सेवन करने से कफ की परेशानी से आराम मिलता है।स्वस्थ ह्रदय के लिए गिलोय का सेवन फायदेमंद (Giloy is Beneficial for Healthy Heart)काली मिर्च को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से सीने का दर्द ठीक होता है। ये प्रयोग कम से कम सात दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।और पढ़े: सीने में दर्द के घरेलू उपचारकैंसर में फायदेमंद गिलोय का उपयोग (Giloy is Beneficial in Cancer in Hindi)स्वामी रामदेव के पतंजलि आश्रम में अनेक ब्लड कैंसर के रोगियों पर गेहूँ के ज्वारे के साथ गिलोय का रस मिलाकर सेवन कराया गया। इससे बहुत लाभ हुआ। आज भी इसका प्रयोग किया जा रहा है और इससे रोगियों को अत्यन्त लाभ होता है।लगभग 2 फुट लम्बी तथा एक अगुंली जितनी मोटी गिलोय, 10 ग्राम गेहूँ की हरी पत्तियां लें। इसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीस लें। इसे कपड़े से निचोड़ कर 1 कप की मात्रा में खाली पेट प्रयोग करें। पतंजलि आश्रम के औषधि के साथ इस रस का सेवन करने से कैंसर जैसे भयानक रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है।और पढ़े: चिकनगुनिया में गिलोय के फायदेगिलोय के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Giloy?)काढ़ा – 20-30 मिलीरस – 20 मिलीअधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार इस्तेमाल करें।गिलोय के सेवन का तरीका (How to Use Giloy?)काढ़ारसगिलोय से नुकसान (Side Effects of Giloy)गिलोय से ये नुकसान हो सकते हैंः-गिलोय डायबिटीज (मधुमेह) कम करता है। इसलिए जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, वे गिलोय का सेवन न करें।इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।गिलोय कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Giloy Found or Grown?)यह भारत में सभी स्थानों पर पायी जाती है। कुमाऊँ से आसाम तक, बिहार तथा कोंकण से कर्नाटक तक गिलोय मिलती है। यह समुद्र तल से लगभग 1,000 मीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है।

गिलोय के फायदे, नुकसान व औषधीय गुण Benefits of Giloy & its Medicinal


 By वनिता कासनियां पंजाब 

गिलोय का परिचय (Introduction of Giloy)

आपने गिलोय के बारे में अनेक बातें सुनी होंगी और शायद गिलोय के कुछ फायदों के बारे में भी जानते होंगे, लेकिन यह पक्का है कि आपको गिलोय के बारे में इतनी जानकारी नहीं होगी, जितनी हम आपको बताने जा रहे हैं। गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में बहुत सारी फायदेमंद बातें बताई गई हैं। आयुर्वेद में इसे रसायन माना गया है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।


गिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं। गिलोय का उपयोग कर वात-पित्त और कफ को ठीक किया जा सकता है। यह पचने में आसान होती है, भूख बढ़ाती है, साथ ही आंखों के लिए भी लाभकारी होती है। आप गिलोय के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ ले सकते हैं। इसके साथ ही यह वीर्य और बुद्धि बढ़ाती है और बुखार, उलटी, सूखी खाँसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र रोग में भी प्रयोग की जाती है। महिलाओं की शारीरिक कमजोरी की स्थिति में यह बहुत अधिक लाभ पहुंचाती है।

गिलोय क्या है (What is Giloy?)

गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।

यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है। आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों (चिकित्साशात्रियों) के अनुसार गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। टीबी रोग का कारण बनने वाले वाले जीवाणु की वृद्धि को रोकती है। आंत और यूरीन सिस्टम के साथ-साथ पूरे शरीर  को प्रभावित करने वाले रोगाणुओं को भी यह खत्म करती है।

गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें मुख्यतया निम्न प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।

  1. गिलोय (Tinosporacordifolia (Willd.) Miers)
  2. Tinosporacrispa (L.) Hook. f. & Thomson 3. Tinospora sinensis (Lour.) Merr. (Syn- Tinospora malabarica (Lam.) Hook. f. & Thomson)

अनेक भाषाओं में गिलोय के नाम (Giloy Called in Different Languages)

गिलोय का लैटिन नाम  टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया ( Tinospora cordifolia (Willd.) Miers, Syn-Menispermum cordifolium Willd.) है और यह मैनिस्पर्मेसी (Menispermaceae) कुल है। इसे इन नामों से भी जानी जाती हैः-

Giloy in –

  • Hindi (Giloy in Hindi) – गडुची, गिलोय, अमृता
  • English – इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora);  टिनोस्पोरा (Tinospora)
  • Bengali (Giloy in Bengali) – गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), गिलोय (Giloe)
  • Sanskrit – वत्सादनी, छिन्नरुहा, गुडूची, तत्रिका, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रिया
  • Oriya – गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi)
  • Kannada – अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni)
  • Gujarati – गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo)
  • Goa – अमृतबेल (Amrytbel)
  • Tamil – अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi)
  • Telugu – तिप्पतीगे (Tippatige), अमृता (Amrita), गुडूची (Guduchi)
  • Nepali – गुर्जो (Gurjo)
  • Punjabi – गिलोगुलरिच (Gilogularich), गरहम (Garham), पालो (Palo)
  • Marathi – गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल(Ambarvel)
  • Malayalam – अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu)
  • Arabic – गिलो (Gilo)
  • Persian – गुलबेल (Gulbel), गिलोय (Giloe)

गिलोय के फायदे (Giloy Benefits and Uses)

गिलोय का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और तरीका ये हैः-

आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy to Cure Eye Disease in Hindi)

10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं।

गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है।

और पढ़ें: आंखों की ज्‍योति बढ़ाए अश्‍वगंधा

कान की बीमारी में फायदेमंद गिलोय का प्रयोग (Uses of Giloy in Eye Disorder in Hindi)

गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल (कान की गंदगी) निकल जाता है।

हिचकी को रोकने के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल (Giloy Benefits to stop Hiccup in Hindi)

गिलोय तथा सोंठ के चूर्ण को नसवार की तरह सूँघने से हिचकी बन्द होती है। गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण की चटनी बना लें। इसमें दूध मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाती है।

और पढ़े: हिचकी में चना के फायदे

टीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन (Giloy Uses in T.B. Disease Treatment in Hindi)

अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा मतलब टीबी की बीमारी ठीक होती है। इस दौरान दूध का सेवन करना चाहिए।

और पढ़ें: टीबी रोग में करें अश्वगंधा का उपयोग

गिलोय के सेवन से उलटी रुकती है (Benefits of Giloy to Stop Vomiting in Hindi)

एसिडिटी के कारण उलटी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उलटी बंद हो जाती है। गिलोय के 125-250 मिली चटनी में 15 से 30 ग्राम शहद मिला लें।

इसे दिन में तीन बार सेवन करने से उलटी की परेशानी ठीक हो जाती है। 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है।

गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज  (Giloy is Beneficial in Fighting with Constipation in Hindi)

गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है।

सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय को बराबर भाग में कर जल में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।

और पढ़ें: पेट की बीमारी में करें एलोवेरा का इस्‍तेमाल

गिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार (Giloy Uses in Piles Treatment in Hindi)

हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक चौथाई रह जाय तो खौलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी ठीक होती है।

और पढ़ें: बवासीर में शतावरी से फायदा

पीलिया रोग में गिलोय से फायदा (Giloy Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)

  • गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
  • गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया ठीक होता है।
  • गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
  • पुनर्नवा, नीम की छाल, पटोल के पत्ते, सोंठ, कटुकी, गिलोय, दारुहल्दी, हरड़ को 20 ग्राम लेकर 320 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 मिली सुबह और शाम पीने से पीलिया, हर प्रकार की सूजन, पेट के रोग, बगल में दर्द, सांस उखड़ना तथा खून की कमी में लाभ होता है।
  • गिलोय रस एक लीटर, गिलोय का पेस्ट 250 ग्राम, दूध चार लीटर और घी एक किलो लेकर धीमी आँच पर पका लें। जब घी केवल रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस घी की 10 ग्राम मात्रा को चौगुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह और शाम पीने से खून की कमी, पीलिया एवं हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।

और पढ़ें: पीलिया में फायदेमंद भुई-आंवला का प्रयोग

लीवर विकार को ठीक करता है गिलोय (Giloy Helps in Liver Disorder in Hindi)

18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग नीम को लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीस, छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है।

डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग (Uses of Giloy in Control Diabetes in Hindi)

  • गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवँला, हरड़ लें। इसके साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर रख लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।
  • गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।
  • एक ग्राम गिलोय सत् में 3 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ मिलता है।
  • 10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।

मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ (Giloy Cures Urinary Problems in Hindi)

गुडूची के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की बीमारी में लाभ होता है।

गठिया में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy in Arthritis Treatment in Hindi)

गिलोय के 5-10 मिली रस अथवा 3-6 ग्राम चूर्ण या 10-20 ग्राम पेस्ट या फिर 20-30 मिली काढ़ा को रोज कुछ समय तक सेवन करने से गठिया में अत्यन्त लाभ होता है।

सोंठ के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द मिटता है।

फाइलेरिया (हाथीपाँव) में फायदा लेने के लिए करें गिलोय का प्रयोग (Giloy Uses in Cure Filaria in Hindi)

10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।

गिलोय से कुष्ठ (कोढ़ की बीमारी) रोग का इलाज (Giloy Benefits in Leprosy Treatment in Hindi)

10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

बुखार उतारने के लिए गिलोय से लाभ (Giloy is Beneficial in Fighting with Fever in Hindi)

  • 40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह मसलकर, मिट्टी के बरतन में रख लें। इसे 250 मिली पानी मिलाकर रात भर ढककर रख लें। इसे सुबह मसल-छानकर प्रयोग करें। इसे 20 मिली की मात्रा दिन में तीन बार पीने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।
  • 20 मिली गिलोय के रस में एक ग्राम पिप्पली तथा एक चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पुराना बुखार, कफ, तिल्ली बढ़ना, खांसी, अरुचि आदि रोग ठीक होते हैं।
  • बेल, अरणी, गम्भारी, श्योनाक (सोनापाठा) तथा पाढ़ल की जड़ की छाल लें। इसके साथ ही गिलोय, आँवला, धनिया लें। इन सभी की बराबर-बराबर लेकर इनका काढ़ा बना लें। 20-30 मिली काढ़ा को दिन में दो बार सेवन करने से वातज विकार के कारण होने वाला बुखार ठीक होता है।
  • मुनक्का, गिलोय, गम्भारी, त्रायमाण तथा सारिवा से बने काढ़ा (20-30 मिली) में गुड़ मिला ले। इसे पीने अथवा बराबर-बराबर भाग में गुडूची तथा शतावरी के रस (10-20 मिली) में गुड़ मिलाकर पीने से वात विकार के कारण होने वाला बुखार उतर जाता है।
  • 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिला ले। इसके अलावा छोटी कटेरी, सोंठ तथा गुडूची के काढ़ा (20-30 मिली) में पिप्पली चूर्ण मिलाकर पीने से वात और कफज विकार के कारण होने वाला बुखार, सांस के उखड़ने की परेशानी, सूखी खांसी तथा दर्द की परेशानी ठीक होती है।
  • सुबह के समय 20-40 मिली गुडूची के चटनी में मिश्री मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
  • गुडूची, सारिवा, लोध्र, कमल तथा नीलकमल अथवा गुडूची, आँवला तथा पर्पट को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा में चीनी मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
  • बराबर मात्रा में गुडूची, नीम तथा आँवला से बने 25-50 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार की गभीर स्थिति में लाभ होता है।
  • 100 ग्राम गुडूची के चूर्ण को कपड़े से छान लें। इसमें 16-16 ग्राम गुड़, मधु तथा गाय का घी मिला लें। इसका लड्डू बनाकर पाचन क्षमता के अनुसार रोज खाएं। इससे पुराना बुखार, गठिया, आंखों की बीमारी आदि रोगों में फायदा होता है। इससे यादाश्त भी बढ़ती है।
  • गिलोय के रस तथा पेस्ट से घी को पकाएं। इसका सेवन करने से पुराना बुखार ठीक होता है।
  • बराबर मात्रा में गिलोय तथा बृहत् पञ्चमूल के 50 मिली काढ़ा में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण तथा 5-10 ग्राम मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा गुडूची काढ़ा को ठंडा करके इसमें एक चौथाई मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा आप 25 मिली गुडूची रस में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण तथा 5-6 ग्राम मधु मिला भी पी सकते हैं। इससे पुराना बुखार, सूखी खाँसी की परेशानी ठीक होती है और भूख बढ़ती है।
  • गुडूची काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बुखार की गंभीर स्थिति में लाभ होता है। बुखार के रोगी को आहार के रूप में गुडूची के पत्तों की सब्जी शाक बनाकर खानी चाहिए।
  • पतंजलि की गिलोय घनवटी का सेवन करने से भी लाभ होता है।

एसिडिटी की परेशानी ठीक करता है गिलोय (Giloy Cure Acidity in Hindi)

  • गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ और मिश्री के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।
  • गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा अथवा चटनी में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या ठीक होती है
  • इसके अलावा 10-30 मिली काढ़ा में अडूसा छाल, गिलोय तथा छोटी कटोरी को बराबर भाग में लेकर आधा लीटर पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। ठंडा होने पर 10-30 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से सूजन, सूखी खांसी, श्वास तेज चलना, बुखार तथा एसीडिटी की समस्या ठीक होती है।

कफ की बीमारी में करें गिलोय का इस्तेमाल(Giloy is Beneficial in Cure Cough in Hindi)

गिलोय को मधु के साथ सेवन करने से कफ की परेशानी से आराम मिलता है।

स्वस्थ ह्रदय के लिए गिलोय का सेवन फायदेमंद (Giloy is Beneficial for Healthy Heart)

काली मिर्च को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से सीने का दर्द ठीक होता है। ये प्रयोग कम से कम सात दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।

और पढ़े: सीने में दर्द के घरेलू उपचार

कैंसर में फायदेमंद गिलोय का उपयोग (Giloy is Beneficial in Cancer in Hindi)

स्वामी रामदेव के पतंजलि आश्रम में अनेक ब्लड कैंसर के रोगियों पर गेहूँ के ज्वारे के साथ गिलोय का रस मिलाकर सेवन कराया गया। इससे बहुत लाभ हुआ। आज भी इसका प्रयोग किया जा रहा है और इससे रोगियों को अत्यन्त लाभ होता है।

लगभग 2 फुट लम्बी तथा एक अगुंली जितनी मोटी गिलोय, 10 ग्राम गेहूँ की हरी पत्तियां लें। इसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीस लें। इसे कपड़े से निचोड़ कर 1 कप की मात्रा में खाली पेट प्रयोग करें। पतंजलि आश्रम के औषधि के साथ इस रस का सेवन करने से कैंसर जैसे भयानक रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है।

और पढ़े: चिकनगुनिया में गिलोय के फायदे

गिलोय के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Giloy?)

काढ़ा – 20-30 मिली

रस – 20 मिली

अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार इस्तेमाल करें।

गिलोय के सेवन का तरीका (How to Use Giloy?)

  • काढ़ा
  • रस

गिलोय से नुकसान (Side Effects of Giloy)

गिलोय से ये नुकसान हो सकते हैंः-

गिलोय डायबिटीज (मधुमेह) कम करता है। इसलिए जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, वे गिलोय का सेवन न करें।

इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

गिलोय कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Giloy Found or Grown?)

यह भारत में सभी स्थानों पर पायी जाती है। कुमाऊँ से आसाम तक, बिहार तथा कोंकण से कर्नाटक तक गिलोय मिलती है। यह समुद्र तल से लगभग 1,000 मीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है।


टिप्पणियाँ

🚩🪴पाक विधि 🪴🚩 अक्खा मसूर रेसिपी/ Akkha masur recipe in hindi अक्खा मसूर रेसिपी बहोत हेल्दी और

भोजन के साथ हरी मिर्च खाने से कौनसे फायदे होते हैं?By वनिता कासनियां पंजाब दुनिया में बहुत से ऐसे लोग है जिन्हें तीखा भोजन बहुत ज्यादा पसंद होता है। इसके लिए कई लोग खाने के साथ हरी मिर्च खाना पसंद करते है। कुछ लोगों का मानना होता है की हरी मिर्च खाने से पेट में एसिडिटी और जलन जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है।लेकिन मैं आपको भोजन के साथ हरी मिर्च खाने के फायदे बताने जा रहा हूँ।भोजन के साथ हरी मिर्च खाने के फायदेत्वचा में निखार बढ़ायेअगर आप नियमित रूप से भोजन के साथ हरी मिर्च का सेवन करते है। तो इससे आपकी त्वचा में निखार बढ़ेगा।और इसके अलावा त्वचा के दाग -धब्बे और पिंपल्स जल्द ही दूर हो जायेंगे।प्राकृतिक पेनकिलरआपको बता दे की हरी मिर्च को प्राकृतिक पेनकिलर के रूप में भी जाना जाता है। अगर आप भोजन के साथ इसका सेवन करते है तो आपके शरीर में होने वाले सभी प्रकार के दर्द ठीक हो जायेंगे।खून की कमी को पूरा करेंअगर आप नियमित रूप से हरी मिर्च का सेवन करते है तो आपके शरीर में खून की कमी पूरी हो जायेगीं। क्योंकि हरी मिर्च में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है। और आयरन खून की कमी को दूर करने में सहायक है।कब्ज में सहायकआज के समय में लोगों को कब्ज की समस्या ज्यादा होती है। कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए हरी मिर्च बेहद फायदेमंद होती है। क्योंकि हरी मिर्च में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जो पाचन तंत्र में सुधार करने में सहायक है।शक्ति में वृद्धिहरी मिर्च में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। जो रोगों से लड़ने की शक्ति में वृद्धि कर हमारी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है।

भोजन के साथ हरी मिर्च खाने से कौनसे फायदे होते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब दुनिया में बहुत से ऐसे लोग है जिन्हें तीखा भोजन बहुत ज्यादा पसंद होता है। इसके लिए कई लोग खाने के साथ हरी मिर्च खाना पसंद करते है। कुछ लोगों का मानना होता है की हरी मिर्च खाने से पेट में एसिडिटी और जलन जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। लेकिन मैं आपको भोजन के साथ हरी मिर्च खाने के फायदे बताने जा रहा हूँ। भोजन के साथ हरी मिर्च खाने के फायदे त्वचा में निखार बढ़ाये अगर आप नियमित रूप से भोजन के साथ हरी मिर्च का सेवन करते है। तो इससे आपकी त्वचा में निखार बढ़ेगा।और इसके अलावा त्वचा के दाग -धब्बे और पिंपल्स जल्द ही दूर हो जायेंगे। प्राकृतिक पेनकिलर आपको बता दे की हरी मिर्च को प्राकृतिक पेनकिलर के रूप में भी जाना जाता है। अगर आप भोजन के साथ इसका सेवन करते है तो आपके शरीर में होने वाले सभी प्रकार के दर्द ठीक हो जायेंगे। खून की कमी को पूरा करें अगर आप नियमित रूप से हरी मिर्च का सेवन करते है तो आपके शरीर में खून की कमी पूरी हो जायेगीं। क्योंकि हरी मिर्च में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है। और आयरन खून की कमी को दूर करने ...

🍯 धरती पर खाने की सबसे शुद्ध ,चीज़ कौनसी मानी जाती है ?By वनिता कासनियां पंजाब धरती पर खाने की सबसे शुद्ध चीज़ कौनसी मानी जाती है ?आज के समय हर किसिको पिज्जा खाना बहोत अच्छा लगता है। गावों से ज्यादा पिज्जे के बारे। में शहरों के लोगों को इसके बारे में बहोत जानकारी होती है। कई बार चीज पिज्जा भी हम खाना पसंद करते है। पिज्जा बनाते वक्त कई बार लोग अपने सेहत का ध्यान ही नही रखते है,उसपे कई सारा तेल लगाकर खाते है। हम आज के समय ऑइल का इस्तमाल इतना ज्यादा कर रहे हैं,की वह हमारे जीवन पर हावी हो रहा है। हम कई प्रकार के पदार्थ आज के समय खाते हैं। पर देखा जाए तो यह सभी पदार्थ शुद्ध नहीं हैं। किसी भी पदार्थ की शुद्धता हम भारतवासी उसके पवित्रता से देखते है। समय के साथ हमारे खानपान में बहोत से बदलाव हो रहे हैं। पर आज भी हम घी जरूर खाते है।भारत में हर गावों में माताएं अपने बच्चे को घी जरूर खिलाती है। हमारी संस्कृति के अनुसार और लोगों के अनुमान के अनुसार घी यह पृथ्वी का सबसे शुद्ध खाने का पदार्थ है। घी का वर्णन भारतीय संस्कृति में पहले से ही है। कई ऋषि अपने श्लोकों और कथाओं में घी की पवित्रता के बारे में लोगों को बताते है। यह सोचने की बात है की,पहले के समय लोग सभी प्रकार के तेल निकालते थे और अपने खाने में सिर्फ घी का इस्तेमाल क्यों करते थे ? हम भी जानते है की,घी यह कितने प्रक्रिया के बाद हमे मिलता है। घी यह सबसे शुद्ध होने के साथ ही वह अपने आप में शरीर को बढ़ाने वाला प्रोटीन है। घी यह कई प्रकार के मिनरल्स का खजाना है। घी को जब हम खाने में लाते हैं,तब हमे उसका फायदा जरूर होता है और उसके साथ हमारे पाचनक्रीया में भी बहोत सुधार आता हैं। कुछ सालों पहले अलग–अलग तेल की कंपनियां घी के बारे में अफवाएं फेहलाती थीं। घी का इस्तमाल लोगों के जीवन में कम होने का कारण ऑइल की कंपनिया ही है। घी में ज्यादा मात्रा में सैचुरेटेड फैट पाया ज्याता है और वह हमारे शरीर के लिए हानिकारक है उसके साथ ही कई बीमारियों की जड़ भी घी ही है। एसी कई अफवाओं के कारण घी का इस्तेमाल कुछ समय लोग कम ही कर रहे थे। कई बार लैब में टेस्टिंग के बाद यह कंपनियों का फर्जीवाड़ा सामने आया। जो सबसे अच्छा और सही घी होता हैं उसकी एक्सपायरी नही होती है। देशी गाय का घी शुद्धता के साथ भारत में दिए जलाने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते है। घी शारीरिक कई समस्याओ को मिटाता ही है और उसके साथ ही इसको स्किन के उपर भी लगाया जाता है। स्किन पर लगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है की,इसकी वजहसे गोरापन और निखार आता है। घी ने कई शारीरिक औषधियों की जगह लियी है। आयुर्वेद में जिस तरह घी का उपयोग बताया हैं, उस तरह हम उसे दैनिक जीवन में ला सके तो किसी भी शरीर के अंतर्गत रोगों का होना संभव नही है।कई सारे घी के फायदे है और इसी कारण यह धरती की सबसे शुद्ध चीज है। आशा है,आप धरती पर खाने की सबसे शुद्ध चीज यानी घी के बारे में जरूर जान गए होंगे। घी का सेवन ज्यादा से ज्यादा करिए। आपका अन्य कोई भी प्रश्न हो तो नीचे कमेंट में पूछने से न शरमाए। अच्छा लगा हो तो दोस्तों को जरूर शेयर करे।

🍯 धरती पर खाने की सबसे शुद्ध चीज़ कौनसी मानी जाती है ? By  वनिता कासनियां पंजाब   धरती पर खाने की सबसे शुद्ध चीज़ कौनसी मानी जाती है ? आज के समय हर किसिको  पिज्जा  खाना बहोत अच्छा लगता है। गावों से ज्यादा पिज्जे के बारे। में शहरों के लोगों को इसके बारे में बहोत जानकारी होती है। कई बार चीज पिज्जा भी हम खाना पसंद करते है। पिज्जा बनाते वक्त कई बार लोग अपने सेहत का ध्यान ही नही रखते है,उसपे कई सारा तेल लगाकर खाते है।  हम आज के समय ऑइल का इस्तमाल इतना ज्यादा कर रहे हैं,की वह हमारे जीवन पर हावी हो रहा है।  हम कई प्रकार के पदार्थ आज के समय खाते हैं। पर देखा जाए तो यह  सभी पदार्थ शुद्ध नहीं हैं। किसी भी पदार्थ की शुद्धता हम भारतवासी उसके पवित्रता से देखते है। समय के साथ हमारे खानपान में बहोत से बदलाव हो रहे हैं। पर आज भी हम घी जरूर खाते है। भारत में हर गावों में माताएं अपने बच्चे को घी जरूर खिलाती है।  हमारी संस्कृति के अनुसार और लोगों के अनुमान के अनुसार घी यह पृथ्वी का सबसे शुद्ध खाने का पदार्थ है। घी का वर्णन भारतीय संस्कृति में पहले से ही है। कई...

गोंद का हलवा बनाने की विधि–Gond Ka Halwa Recipe By वनिता कासनियां पंजाब सर्दी का मौसम आते ही सबके जुबान पर एक ही नाम होता है गोंद का हलवा (Gond Ka Halwa Recipe)। शादी सामारोह में तो इसे खास तौर पर बनाया जाता है। आज हम आपके लिए लेकर आए है हलवाई स्टाइल गोंद का हलवा, जो आप आसानी से घर पर बना सकते है। तो चलिए गोंद का हलवा बनाना शुरू करते है।gond ka halwa recipegond ka halwa recipeगोंद का हलवा बनाने की सामग्री300 ग्राम घी1 कप गोंद250 ग्राम चीनी2 कप नारियल1 कप कटे हुए बादाम और काजू1 कप मावा या मलाई7-8 काली मिर्चआधा कप खसखस या सूजी2 कप गेहूँ का मोटा आटागोंद का हलवा बनाने की विधिसबसे पहले हम एक कङाही लेंगे और उसमें घी डाल देंगे।जब घी गर्म हो जाएगा तब हम इसमें 1 मुट्ठी गोंद डाल देंगे और घी में गोंद के फूले बना लेंगे।ध्यान रखें एक साथ गोंद कभी-भी घी में नहीं डालना चाहिए क्योंकि इससे गोंद चिपकने लगता है।इसलिए हम थोङा-थोङा गोंद डालेंगे और गोंद के फूले बना लेंगे।जब फूले तैयार हो जाएंगे तब हम इसे एक प्लेट में निकाल लेंगे।गोंद भूनने के बाद हम इसी घी में कटे हुए काजू और बादाम डाल उन्हें भी हल्का भून लेंगे।इससे काजू और बादाम में बढ़िया खूश्बू के साथ-साथ उनका स्वाद भी बढ़ जाएगा।काजू और बादाम को भूनने के बाद हम एक बर्तन लेंगे और उसमें चीनी डाल देंगें। चीनी के अंदर हम डेढ़ कप पानी डाल देंगे।हमें चाशनी एक तार की बनानी है।जब तक चाशनी बनती है तब तक हम हलवे के लिए गेहूँ का आटा भून लेंगे।गोंद के हलवे में मोटा आटा डाला जाता है क्योंकि इससे गोंद का हलवा चिपकता नहीं है और अलग-अलग पङा रहता है।आप गेहूँ को अच्छे से साफ करके मिक्सी में डाल कर गेहूँ को पीस सकते है। इससे भी हलवा अच्छा बनता है।जिस घी में हमने गोंद और बादाम भूने थे उसी घी में हम आटा डालकर इसे अच्छे से भून लेंगे।जब आटा अच्छे से भून जाएगा तब हम इसमें काली मिर्च व मावा डाल देंगे।अगर आपके पास मावा नहीं है तो आप इसमें मलाई का उपयोग भी कर सकते है।

गोंद का हलवा बनाने की विधि–Gond Ka Halwa Recipe By वनिता कासनियां पंजाब सर्दी का मौसम आते ही सबके जुबान पर एक ही नाम होता है गोंद का हलवा (Gond Ka Halwa Recipe)। शादी सामारोह में तो इसे खास तौर पर बनाया जाता है। आज हम आपके लिए लेकर आए है हलवाई स्टाइल गोंद का हलवा, जो आप आसानी से घर पर बना सकते है। तो चलिए गोंद का हलवा बनाना शुरू करते है। gond ka halwa recipe गोंद का हलवा बनाने की सामग्री 300 ग्राम घी 1 कप गोंद 250 ग्राम चीनी 2 कप नारियल 1 कप कटे हुए बादाम और काजू 1 कप मावा या मलाई 7-8 काली मिर्च आधा कप खसखस या सूजी 2 कप गेहूँ का मोटा आटा गोंद का हलवा बनाने की विधि सबसे पहले हम एक कङाही लेंगे और उसमें घी डाल देंगे। जब घी गर्म हो जाएगा तब हम इसमें 1 मुट्ठी गोंद डाल देंगे और घी में गोंद के फूले बना लेंगे। ध्यान रखें एक साथ गोंद कभी-भी घी में नहीं डालना चाहिए क्योंकि इससे गोंद चिपकने लगता है। इसलिए हम थोङा-थोङा गोंद डालेंगे और गोंद के फूले बना लेंगे। जब फूले तैयार हो जाएंगे तब हम इसे एक प्लेट में निकाल लेंगे। गोंद भूनने के बाद हम इसी घी में कटे हुए काजू और बादाम डाल उन्हें भी हल्का भून लें...

What are the benefits of Kulthi Dal?By philanthropist Vanitha Kasniya Punjabthis is kulthi dal*************There is a picture of lentils kept in my house. I consume this dal regularly.making kulthi dal

कुलथी दाल के क्या फायदे हैं? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब ये है कुल्थी दाल ************* मेरे घर में रखे हुए दाल की तस्वीर है । मैं इस दाल का नियमित तौर पर सेवन करती हूँ । कुल्थी दाल बनाने का तरीका : - कुल्थी दाल अच्छी तरह से साफ कर लीजिए इसमें कोई कंकड़ पत्थर ना हो । कड़ाही में सूखा ही भूनना है पहले इस दाल को जिसे तातल करना भी कहते हैं । जब दाल थोड़ी भूरे रंग का होने लगे भूनने की खुशबू आने लगेगी और पट पट की आवाज आने लगेगी उतारकर किसी बर्तन में ठंढा होने फैला दीजिए । अब इसे दल लेना है सिलबट्टे या मिक्सी में बिल्कुल कम समय मे सिर्फ एक बार मिक्सी चलायें दाल दल जाएगी । इसको फटककर छिलका साफ कर लें । यह दाल पानी ज्यादा सोखता है अतः अन्य दालों से थोड़ा अधिक पानी रखें । उबलते पानी में दाल डालेंगे । लहसुन की कलियां 7 से 8 , नमक , लाल मिर्च पाउडर, हल्दी , डाल दें । थोड़ा ज्यादा सिटी लगानी है । पकने में समय लगता है । दाल बन जाने पर सरसों के तेल में लहसुन और साबुत लाल मिर्च से छौंक लगा लीजिये । खाली दाल गर्म गर्म पीना बहुत ही फायदेमंद साबित होता है । आप इसे चावल से खाइए वह भी बहुत अच्छा है । ...

फलाहारी स्ट्रॉबेरी हलुआ कैसे बनाते हैं? By Vnita kasnia Punjab दुग्ध-उत्पाद मुक्त (vegan) शाकाहारी पकवानसमय :—तैयारी के लिए : लगभग ५ मिनटपकाने के लिए : लगभग ५-७ मिनटकुल समय : लगभग १० मिनटसामग्री :—ताजा स्ट्रॉबेरी — २५० ग्राम (अमेरिकी पाठक : ९ आउंस)फूफू आटा (अरबी का आटा अथवा केले का आटा) — १५० ग्राम (अमेरिकी पाठक : ४.५ आउंस)यह उपलब्ध न हो तो राजगीर या सिंघाड़े का आटा भी प्रयोग कर सकते हैं।साधारण उपयोग में गेहूँ का आटा भी प्रयोग कर सकते हैं।शक्कर — ५०-७५ ग्राम स्वाद के अनुसार, स्ट्रॉबेरी यदि खट्टी हो तो शक्कर की मात्रा बढाई जा सकती है। (अमेरिकी पाठक : २ से ३ आउंस)नारियल का बूरा — ५० ग्राम । (अमेरिकी पाठक : २ आउंस)पिसी छोटी इलायची (२-३)विधि :—स्ट्रॉबेरी के दो या तीन काटकर टुकड़े कर लें। (अमेरिकी पाठकों के लिए विशेष निर्देश —१. काटने के चाकू के उपयोग के बारे में —ये बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं,हाथ कट जाए तो ख़ून निकल आता है.– राजा, वक्त (१९६५)२. स्ट्रॉबेरी का हरा भाग खाने योग्य नहीं है, उसे काट कर अलग कर दें और कृपया खाने के काम न लें।३. यह हरा भाग खेलने की वस्तु भी नहीं है, इससे श्वासमार्ग अवरुद्ध हो सकता है, अतः इन्हें सावधानीपूर्वक बच्चों की पहुँच से सुरक्षित कचरापात्र में डाल दें।)अब इसमें आटा, नारियल का बूरा और शक्कर के साथ मिलाकर मिक्सी में अच्छी तरह से एक सार कर लें। (अमेरिकी पाठकों के लिए विशेष निर्देश — मिक्सी में यह सब डालते समय ध्यान रखें कि मिक्सी बन्द है, मिक्सी के ढक्कन को ठीक से बन्द कर ही मिक्सी चलाएँ, और मिक्सी का ढक्कन उसे चलाना बन्द कर ही खोलें।)अब इस मिश्रण को कढाई में उडेल दें।यदि आप तापमान सेट कर सकते हैं तो १००° सेंटीग्रेड (अमेरिकी पाठकों के लिए विशेष निर्देश — २१२° फारेनहाइट) पर (गैस पर धीमी आँच रखकर) पकाईए। इस मिश्रण को लगातार चम्मच से आडोलित (स्टिर) करते रहें, जिससे इस मिश्रण में गुठलियाँ न पड़ने पाएँ। यह मिश्रण जल्दी ही गाढ़ा होने लगेगा।अब इसे आँच से उतार कर थाली में जमा लीजिए, और इस पर पिसी इलायची को भुरका दें। चाहें तो इसे सूखे मेवों से भी सजा सकते हैं। (अमेरिकी पाठकों के लिए विशेष निर्देश : इसे ११०° फारेनहाइट तक ठण्डा होने दें, उससे पूर्व इसका सेवन न करें, यह गर्म है आप जल सकते हैं। )अपने प्रिय जनो के साथ इसका आनन्द लें।इस प्रकार के अन्य रोचक उत्तर आप मेरे मञ्च पाक विधि पर पढ सकते हैं।इस लेख को उद्धृत करते हुए इस लेख के लिंक का भी विवरण दें।

फलाहारी स्ट्रॉबेरी हलुआ कैसे बनाते हैं? By Vnita kasnia Punjab दुग्ध-उत्पाद मुक्त (vegan) शाकाहारी पकवान समय  :— तैयारी के लिए : लगभग ५ मिनट पकाने के लिए : लगभग ५-७ मिनट कुल समय : लगभग १० मिनट सामग्री  :— ताजा स्ट्रॉबेरी — २५० ग्राम ( अमेरिकी पाठक : ९ आउंस ) फूफू आटा (अरबी का आटा अथवा केले का आटा) — १५० ग्राम ( अमेरिकी पाठक : ४.५ आउंस ) यह उपलब्ध न हो तो राजगीर या सिंघाड़े का आटा भी प्रयोग कर सकते हैं। साधारण उपयोग में गेहूँ का आटा भी प्रयोग कर सकते हैं। शक्कर — ५०-७५ ग्राम स्वाद के अनुसार, स्ट्रॉबेरी यदि खट्टी हो तो शक्कर की मात्रा बढाई जा सकती है। ( अमेरिकी पाठक : २ से ३ आउंस ) नारियल का बूरा — ५० ग्राम । ( अमेरिकी पाठक : २ आउंस ) पिसी छोटी इलायची (२-३) विधि :— स्ट्रॉबेरी के दो या तीन काटकर टुकड़े कर लें। ( अमेरिकी पाठकों के लिए विशेष निर्देश — १. काटने के चाकू के उपयोग के बारे में — ये बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं, हाथ कट जाए तो ख़ून निकल आता है. – राजा, वक्त (१९६५) २. स्ट्रॉबेरी का हरा भाग खाने योग्य नहीं है, उसे काट कर अलग कर दें और कृपया खाने के काम न लें। ३. यह हरा भाग ख...

पाक विधि सावन का महीना चल रहा है इस महीने में कई त्यौहार आते है इन दिनों सभी घरो में राखी की तैयारी शुरू हो गयी है राखी का त्यौहार आने वाला है। त्योहार के मोके पर सभी घरो में अलग अलग मिठाईया बनने लगती है।By वनिता कासनियां पंजाब ज्यादातर घरो में लड्डू ,खीर जैसे चीजे बनती है। लेकिन अगर आप भी राखी के मोके पर स्वीट्स में कुछ अलग बनाने की सोच रहे है तो आप खाजा ट्राई कर सकते है। ये मेदा और गुड़ से बनता है। इसे बनाना काफी सरल है तो चलिए जानते है गुड़ का खाजा बनाने की सरल रेसिपी के बारे में सामग्री - मेदा 500 ग्राम ,बेकिंग पाउडर चम्मच ,घी 4 ,चम्मच ,दूध 500 मिली ,इलायची पाउडर 1 छोटा चम्मच,नारियल 1 कप ,तेल या घी ,फ़्राय करने के लिए ,गुड़ 500 ग्राम ,पानी जरूरतानुसारबनाने की विधि - गुड़ का खाजा बनाने के लिए सबसे पहले आप एक बाउल में मेदा को छान ले और इसे अच्छी तरह से मिलाकर साइड में रख दे। अब इसमें बेकिंग पाउडर ,घी गुड़ का पाउडर मिलाकर अच्छी तरह से मिला ले। अब इसमें दूध और पानी डाले इसका आटा गूथ ले। फिर इसे कुछ मिनट के लिए रख दे।अब आटे के सेट होने के बाद इसकी बराबर मात्रा में लोइया बना ले।अब लोइयों को रोटी की तरह पतला पतला बेल ले और साइड में बेल कर रख ले। अब आटे का खाजा बनाना होगा ,इसके लिए आप एक प्लेट में रोटी रखे उसके ऊपर मेदा,दही लगा ले और इसके ऊपर दूसरी रोटी रखे और रोटियों की परत बना ले।अब रोटियों की परत बनाने के बाद इन रोटियों कोफोल्ड करे और इसका रोल बना ले। फिर इस रोल को आप खाजा के शेप में काटकर बेल दे। इसके बाद एक कड़ाही में तेल गर्म करे और खाजा को डीप फ्राई करे। इसमें बाद आप गुड़ की चाशनी बना ले इसके लिए एक बर्तन में गुड़ और पानी डाले और चाशनी बना ले। चाशनी बनने के बाद खाजे को इन चाशनी में डाल दे और कुछ देर के लिए इसे ही छोड़ दे। अब कुछ देर बाद चाशनी से खाजा निकाल ले और इसे सर्व करे।

पाक विधि सावन का महीना चल रहा है इस महीने में कई त्यौहार आते है इन दिनों सभी घरो में राखी की तैयारी शुरू हो गयी है राखी का त्यौहार आने वाला है। त्योहार के मोके पर सभी घरो में अलग अलग मिठाईया बनने लगती है। By वनिता कासनियां पंजाब ज्यादातर घरो में लड्डू ,खीर जैसे चीजे बनती है। लेकिन अगर आप भी राखी के मोके पर स्वीट्स में कुछ अलग बनाने की सोच रहे है तो आप खाजा ट्राई कर सकते है। ये मेदा और गुड़ से बनता है। इसे बनाना काफी सरल है तो चलिए जानते है गुड़ का खाजा बनाने की सरल रेसिपी के बारे में सामग्री  - मेदा 500 ग्राम ,बेकिंग पाउडर चम्मच ,घी 4 ,चम्मच ,दूध 500 मिली ,इलायची पाउडर 1 छोटा चम्मच,नारियल 1 कप ,तेल या घी ,फ़्राय करने के लिए ,गुड़ 500 ग्राम ,पानी जरूरतानुसार बनाने की विधि -  गुड़ का खाजा बनाने के लिए सबसे पहले आप एक बाउल में मेदा को छान ले और इसे अच्छी तरह से मिलाकर साइड में रख दे। अब इसमें बेकिंग पाउडर ,घी गुड़ का पाउडर मिलाकर अच्छी तरह से मिला ले। अब इसमें दूध और पानी डाले इसका आटा गूथ ले। फिर इसे कुछ मिनट के लिए रख दे।अब आटे के सेट होने के बाद इसकी बराबर मात्रा में लोइ...

potato peel benefits हर घर में सब्जी बनाने के लिए आलू का इस्तेमाल अधिक तौर पर किया जाता है। लेकिन अगर आप भी सिर्फ आलू को उपयोग में लाकर छिलकों को फेंक देती है तो यह जानकारी आपके बहुत काम की हैं। क्योंकि आलू के छिलके (benefits of potato) सेहत को संवारने के साथ-साथ किचन के लिए भी इस्तेमाल करके आप इसका लाभ ले सकते हैं। By वनिता कासनियां पंजाब :जानिए यहां आलू के छिलकों (aalu chhilke) के बारे में खास ट्रिक्स-1. कुरकुरा स्नैक बनाएं- आप आलू के छिलकों से किचन की कढ़ाई या कुकर चमकाने से लेकर खाने की कई सामग्री बनाकर इसे उपयोग में ले सकती हैं। जैसे- एक कप आलू के छिलके में चुटकी भर नमक मिलाकर मिक्सी में दरदरा पीस लें और तैयार आलू क्रम्ब्स को ब्रेड क्रम्ब्स की जगह स्नैक्स बनाने के घोल इस्तेमाल करें तथा डिप करके कुरकुरा स्वादिष्ट स्नैक्स बना कर खाने के काम में लाएं।2. बर्तन चमकाएं- गंदे हो रहे किचन के बर्तनों को चमकाने के लिए आलू के छिलके का उपयोग करें। अगर आपके घर में भी रोजमर्रा काम में आने वाली लोहे की कढ़ाई, तवा या पैन आदि को साफ करने के लिए एक कप आलू के छिलके, दो चम्मच वेजिटेबल ऑयल और एक कप पानी मिलाकर चुटकी भर नमक डालकर गंदे बर्तन को उबाल लें और आलू के छिलके और स्क्रब से बर्तन को साफ करके अच्छे से धो लें।3. ब्लड प्रेशर : आलू में भरपूर मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है, जो कि ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में हमारी मदद करता है।4. बल : आलू के छिलके में भरपूर मात्रा में विटामिन बी3 पाया जाता है, जो कि शरीर को बल या ताकत देने का काम करता है।5. फाइबर : हमारी डाइट में फाइबर की कुछ मात्रा जरूर शामिल होना चाहिए और आलू के छिलके में अच्छी मात्रा में फाइबर्स होते हैं। ये डाइजेस्ट‍िव सिस्टम को भी बूस्ट करने का काम करते हैं। छिलकों के साथ आलू का सेवन आपको फाइबर भी देता है और आपको पाचन संबंधी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। ये आपके पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं।6. पोषक तत्व : अगर आप छिलकों के साथ आलू की सब्जी बनाते हैं तो इसका स्वाद तो बढ़ता ही है, आपको अतिरिक्त पोषण भी मिलता है, क्योंकि इनके छिलकों में पोषक तत्व होते हैं।7. लाजवाब कुरकुरे वेजेज : एक-दो कप आलू के छिलके लेकर धोकर सुखा लें। अब एक बेकिंग ट्रे में फैलाकर ऊपर से तेल लगाएं। काली मिर्च एवं लाल मिर्च पाउडर तथा स्वादानुसार नमक बुरका कर अच्छी तरह से हाथों से मिक्स कर लें। अब इन्हें गरम तेल में शैलो या डीप फ्राई कर लें और तैयार लाजवाब वेजेज या क्रिस्प्स का चाय के साथ आनंद उठाएं।8. मेटाबॉलिज्म : आलू के छिलके मेटाबॉलिज्म को भी सही रखने में मददगार होते है। इन्हें खाने से नर्व्स को मजबूती मिलती है।9. एनीमिया : आलू के छिलके में आयरन भी भरपूर मात्रा में होता है जिससे एनीमिया होने का खतरा बहुत हद तक कम हो जाता है। यह शरीर में आयरन की कमी को भी पूरा करता है और एनीमिया से भी बचाता है।10. निखारें सेहत और सौंदर्य : आलू और आलू का छिलका किचन में उपयोगी होने के साथ-साथ सिर्फ सेहत ही नहीं सौंदर्य निखारने के लिए भी काम आते हैं, आलू का छिलका त्वचा पर रगड़ने से ये जहां त्वचा को झुर्रियों और दाग धब्बों से बचाते हैं, वहीं बालों को मजबूती देने के काम भी आता है। Potato uses

potato peel benefits हर घर में सब्जी बनाने के लिए आलू का इस्तेमाल अधिक तौर पर किया जाता है। लेकिन अगर आप भी सिर्फ आलू को उपयोग में लाकर छिलकों को फेंक देती है तो यह जानकारी आपके बहुत काम की हैं। क्योंकि आलू के छिलके (benefits of potato) सेहत को संवारने के साथ-साथ किचन के लिए भी इस्तेमाल करके आप इसका लाभ ले सकते हैं। By वनिता कासनियां पंजाब  : जानिए यहां आलू के छिलकों (aalu chhilke) के बारे में खास ट्रिक्स- 1. कुरकुरा स्नैक बनाएं-  आप आलू के छिलकों से किचन की कढ़ाई या कुकर चमकाने से लेकर खाने की कई सामग्री बनाकर इसे उपयोग में ले सकती हैं। जैसे- एक कप आलू के छिलके में चुटकी भर नमक मिलाकर मिक्सी में दरदरा पीस लें और तैयार आलू क्रम्ब्स को ब्रेड क्रम्ब्स की जगह स्नैक्स बनाने के घोल इस्तेमाल करें तथा डिप करके कुरकुरा स्वादिष्ट स्नैक्स बना कर खाने के काम में लाएं। 2. बर्तन चमकाएं-  गंदे हो रहे किचन के बर्तनों को चमकाने के लिए आलू के छिलके का उपयोग करें। अगर आपके घर में भी रोजमर्रा काम में आने वाली लोहे की कढ़ाई, तवा या पैन आदि को साफ करने के लिए एक कप आलू के छिलके, द...

पास्ता पिज्जा बनाने की विधि – Pasta Pizza Recipe in Hindi By Vnita Kasnia Punjab पास्ता पिज्जा कैसे बनाएँPasta Pizza Recipe in HindiPasta Pizza Recipe in Hindiपास्ता पिज्जा बनाने की सामग्री1 कटोरी पास्ता3 बङे चम्मच दहीएक चौथाई चम्मच गर्म मसाला1 चम्मच यीस्ट4 चम्मच पिज्जा साॅसआधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर1 चम्मच नमकआधा चम्मच निंबूएक चौथाई चम्मच हल्दीडेढ़ चम्मच अदरक और लहसून का पेस्ट150 ग्राम मैदा1 चम्मच चीनी2 चम्मच तेल1 कटोरी चीजआधी लाल शिमला मिर्च बारीक कटी हुईआधी हरी शिमला मिर्च बारीक कटी हुईपास्ता पिज्जा बनाने की विधिसबसे पहले हम एक बर्तन लेंगे और उसमें आधा कप पानी डाल देंगे। पानी डालने के बाद हम बर्तन के अंदर आधा चम्मच चीनी, राईइस्ट और नमक डाल देंगे।चीनी और नमक को अच्छे से मिक्स करने के 2 मिनट बाद हम इसमें मैदा डाल देंगे।मैदे में तेल डालकर हम इसे अच्छे से मिक्स कर देंगे।फिर हम मैदे में थोङा-थोङा गुनगुना पानी डालकर इसे गूंथ लेंगे।आटे को हम कङा नहीं रखेंगे। हम इसे मुलायम ही रखेंगे।आटा गूंथने के बाद हम आटे को एक घंटे के लिए कपङे से ढककर रख देंगे। अगर सर्दी का मौसम है तो हम इसे 2-3 घंटे ढ़ककर रखेंगे।जब तक आटा आराम कर रहा है तब एक हम पास्ता को उबाल लेंगे।पास्ता को उबालने के लिए हम एक कङाही लेंगे और उसमें 1 लीटर पानी डाल देंगे।जब पानी उबल जाएगा तब हम पानी में पास्ता और आधा चम्मच नमक डाल देंगे। पास्ता को उबलने में 13-14 मिनट लगेंगे।13-14 मिनट बाद पास्ता अच्छे से उबल जाएंगे। फिर हम पास्ता को पानी से निकाल कर एक अलग बर्तन में निकाल लेंगें।पास्ता के अंदर हम दही, अदरक लहसून का पेस्ट, लाल मिर्च पाउउर, हल्दी पाउडर, थोङा नमक, गर्म मसाला और नींबू का रस डाल देंगे।अब हम इन सभी चीजों को अच्छे से मिक्स कर देंगे।जब तक हम पास्ता का मिश्रण तैयार करेंगे तब तक हमारा मैदे का आटा तैयार हो चुका होगा।उसमें अच्छी तरह जाली बन जाएगी और वह पहले से दुगुना से भी ज्यादा हो जाएगा। क्योंकि पिज्जा में राईइस्ट डलती है जिससे वह दुगुना हो जाता है और वह स्पंज भी करने लगता है।अब हम पिज्जा को एक प्लेट में निकालेंगे और उस पर तेल लगाकर उसे और चिकना करेंगे।Pasta Pizza Recipe in Hindiमिश्रण को चिकना करने के बाद हम एक जाली लेंगे और उस पर आटे को अपने हाथों से फैला देंगे।जाली पर मिश्रण को फैलाने के लिए हमें बेलन की जरूरत नहीं पङेगी क्योंकि पिज्जा आटा बहुत ज्यादा मुलायम और चिकना होता है। वह हाथों से फैल जाता है।मिश्रण को जाली पर फैलाने के बाद हम इस पर दो चम्मच पिज्जा साॅस डाल देंगे।पिज्जा साॅस डालने के बाद हम पिज्जा पर पास्ता वाला मिश्रण डालेंगे।पिज्जा पर पास्ता आप डिजाइनदार स्टाइल में लगाएँ। आप पिज्जा पर पास्ता से फूल भी बना सकते है।फिर हम पिज्जा पर चीज लगा देंगे। आप यहाँ कोई भी ब्रांड की चीज उपयोग में ले सकते है।चीज लगाने के बाद हम पिज्जा पर हरी व लाल शिमला मिर्च डाल देंगे। आप यहाँ अपनी पसंद की कोई भी सब्जी का प्रयोग कर सकते है।सभी चीजों को लगाने के बाद हम इसे ओवन में रख देंगे।ओवन को हम पहले थोङा गर्म कर लेंगे और बाद हम पिज्जा को 180 डिग्री तापमान पर 15 मिनट के लिए पकने के लिए रख देंगे।15 मिनट बाद हम चेक करेंगे कि पिज्जा तैयार हुआ है या नहीं। इसके लिए हम एक कांटा लेंगे और उसे पिज्जा के चुभोकर वापिस बाहर निकाल लेंगे। अगर कांटे पर पिज्जा का मिश्रण लग गया तो पिज्जा तक कच्चा है। अगर पिज्जा कच्चा हो तो आप उसे और सेक लें।परन्तु 15 मिनट बाद पिज्जा बिल्कुल अच्छी तरह पक जाता है।15 मिनट बाद हम पिज्जा को ओवन से निकाल लेंगे और उसे ब्लेड या चाकू से काट लेंगे।हमारा टेस्टी पिज्जा बिल्कुल तैयार है।आप इस रेसिपी को जरूर ट्राई करें।इन बातों का रखें ध्यानपिज्जा के लिए आटा गूंथते समय इस बात का ध्यान रखें कि पानी गुनगुना होना चाहिए और आटा हमें कङा नहीं गूंथना है।पिज्जा को ओवन से निकालते समय अपने हाथों पर ग्लब जरूर पहनें।

पास्ता पिज्जा बनाने की विधि – Pasta Pizza Recipe in Hindi By Vnita Kasnia Punjab पास्ता पिज्जा कैसे बनाएँ Pasta Pizza Recipe in Hindi पास्ता पिज्जा बनाने की सामग्री 1 कटोरी पास्ता 3 बङे चम्मच दही एक चौथाई चम्मच गर्म मसाला 1 चम्मच यीस्ट 4 चम्मच पिज्जा साॅस आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर 1 चम्मच नमक आधा चम्मच निंबू एक चौथाई चम्मच हल्दी डेढ़ चम्मच अदरक और लहसून का पेस्ट 150 ग्राम मैदा 1 चम्मच चीनी 2 चम्मच तेल 1 कटोरी चीज आधी लाल शिमला मिर्च बारीक कटी हुई आधी हरी शिमला मिर्च बारीक कटी हुई पास्ता पिज्जा बनाने की विधि सबसे पहले हम एक बर्तन लेंगे और उसमें आधा कप पानी डाल देंगे। पानी डालने के बाद हम बर्तन के अंदर आधा चम्मच चीनी, राईइस्ट और नमक डाल देंगे। चीनी और नमक को अच्छे से मिक्स करने के 2 मिनट बाद हम इसमें मैदा डाल देंगे। मैदे में तेल डालकर हम इसे अच्छे से मिक्स कर देंगे। फिर हम मैदे में थोङा-थोङा गुनगुना पानी डालकर इसे गूंथ लेंगे। आटे को हम कङा नहीं रखेंगे। हम इसे मुलायम ही रखेंगे। आटा गूंथने के बाद हम आटे को एक घंटे के लिए कपङे से ढककर रख देंगे। अगर सर्दी का मौसम है तो हम इसे 2-3 घंटे ढ़ककर रख...

मूंग की दाल को जब कुकर में बनाया जाता है तो बड़े बुजुर्ग ये क्यों कहते हैं दाल उबली है पर बनी नहीं इसको धीमी आंच पर बिना ढक्क्न के कुछ देर ओर रखो? By वनिता कासनियां पंजाब मेरी एक फ्रेंड नौकरी करती है। बाकी काम तो घर के लोग कर लेते हैं परन्तु रात की दाल और सब्जी उसे बनाना रहता है। सभी को समय पर खाना चाहिए होता है। वह भी एक तरफ दाल को कुकर में नमक और हल्दी मिलाकर उबालने रख लेती है और दूसरी तरफ छोंक बना देती है और दाल में मिला देती है। दाल की शक्ल तो सही होती है परन्तु जब सब लोग खाने बैठते हैं तो कोई कहता नहीं है परन्तु उसे खुद भी दाल भाती नहीं। दाल में बढ़िया स्वाद नहीं आता।ज्यादा तर गृहणियां यही करती है। परन्तु दाल तो ऐसी होनी चाहिए कि सब उसे बस खा ही लेना चाहते हों। आइए जानते हैं इसी दाल को हम कैसे स्वादिष्ट बना सकते हैं।स्टेप १ : कुकर का काम तो सिर्फ दाल को गलाना है। कूकर में पहले दाल को नमक हल्दी के साथ गला लें।स्टेप २ : कड़ाई में छोंक बना लें और दाल को कड़ाई में डालें। ( दाल को घी में छोंके तो ज्यादा अच्छी बनेगी। अगर कम भी घी लेना है तो कोई बात नहीं परन्तु देसी घी में ज्यादा स्वादिष्ट बनती है )स्टेप ३: छोंक के बाद भी ५ से १० मिनट तक छोंक में उबलनें दें। इससे छोंक का स्वाद पूरी दाल में आ जायगा।स्टेप ४ : अगर गैस बंद कर निम्बू का थोड़ा रस मिला दें तो और बढ़िया लगेगी। परोसते समय धनिया और राई-जीरे, लाल मिर्च के छोंक से सजावट भी अच्छी लगेगी और खुशबू से खाने की टेम्पटेशन भी बढ़ जायगी।

मूंग की दाल को जब कुकर में बनाया जाता है तो बड़े बुजुर्ग ये क्यों कहते हैं दाल उबली है पर बनी नहीं इसको धीमी आंच पर बिना ढक्क्न के कुछ देर ओर रखो? By वनिता कासनियां पंजाब मेरी एक फ्रेंड नौकरी करती है। बाकी काम तो घर के लोग कर लेते हैं परन्तु रात की दाल और सब्जी उसे बनाना रहता है। सभी को समय पर खाना चाहिए होता है। वह भी एक तरफ दाल को कुकर में नमक और हल्दी मिलाकर उबालने रख लेती है और दूसरी तरफ छोंक बना देती है और दाल में मिला देती है। दाल की शक्ल तो सही होती है परन्तु जब सब लोग खाने बैठते हैं तो कोई कहता नहीं है परन्तु उसे खुद भी दाल भाती नहीं। दाल में बढ़िया स्वाद नहीं आता। ज्यादा तर गृहणियां यही करती है। परन्तु दाल तो ऐसी होनी चाहिए कि सब उसे बस खा ही लेना चाहते हों। आइए जानते हैं इसी दाल को हम कैसे स्वादिष्ट बना सकते हैं। स्टेप १ : कुकर का काम तो सिर्फ दाल को गलाना है। कूकर में पहले दाल को नमक हल्दी के साथ गला लें। स्टेप २ : कड़ाई में छोंक बना लें और दाल को कड़ाई में डालें। ( दाल को घी में छोंके तो ज्यादा अच्छी बनेगी। अगर कम भी घी लेना है तो कोई बात नहीं परन्तु देसी घी में ज्यादा स्वादिष्...

Jalebi recipe - Jalebi Banane ki Vidhi By social worker Vanita Kasani Punjab On hearing the name of Jalebi, mouth watering comes, the famous street food of entire India, Jalebi has some place of curd and some places.

जलेबी बनाने की विधि – Jalebi Banane ki Vidhi By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जलेबी का नाम सुनते ही तो मुंह में पानी आ जाता हैं, सम्पूर्ण भारत का प्रसिद्ध स्ट्रीट फूड जलेबी को कुछ जगह दही और कुछ जगह पर रबड़ी के साथ खाया जाता है, कुछ भी कहो ऐसा कोई नहीं मिलेगा जिसे रस भरी कुरकुरी जलेबी पसंद न हो। सप्ताहांत पर कुछ खास करने की सोच रहे है? तो आप एक बार जलेबी बनाकर जरूर देखे। यह हमेशा से ऐसी मिठाई हैं जो लोगों के मन को लुभाती रही है, गुजरात में तो जलेबी फाफड़ा और उत्तर भारत में जलेबी समोसा की जोड़ी बहुत लोकप्रिय नाश्ता है। स्वाद में बदलाव के लिये जलेबी को दूध या खीर के साथ या कभी-कभी आइसक्रीम के साथ खाकर देखिये इस नए स्वाद को आप भूल नहीं पाएंगे। उत्तर और पश्चिमी भारत में इसे जलेबी कहा जाता है वहीं महाराष्ट्र में इसको जिलबी कहते हैं और बंगाल में इसका उच्चारण जिलपी करते हैं। कुछ जगहों पर जलेबी को गैलरी बोला जाता है। जलेबी को ज्यादातर मैदे के साथ बनाया जाता है सूजी अथवा बेसन से बनी जलेबी भी स्वादिष्ट लगती हैं। जलेबी बनाने के लिये पहले बेटर को कम गहरी कढ़ाई में घी गर्म करके गोल सर्पाकार रूप में तला...